India-UK trade: ब्रिटेन और भारत के बीच हुआ मुक्त व्यापार समझौता अब औपचारिक रूप लेने जा रहा है। दोनों देशों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कीयर स्टारमर की उपस्थिति में इस ऐतिहासिक FTA पर हस्ताक्षर होंगे। यह समझौता ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से बाहर होने के बाद सबसे बड़ा द्विपक्षीय आर्थिक समझौता माना जा रहा है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग 34 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
2030 तक व्यापार बढ़ाने का लक्ष्य
भारत और ब्रिटेन ने 6 मई को इस समझौते को अंतिम रूप दिया था। इसका मकसद 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 120 अरब डॉलर तक बढ़ाना है। समझौते के तहत भारतीय निर्यात पर 99 प्रतिशत कर छूट और ब्रिटिश उत्पादों पर 90 प्रतिशत शुल्क कटौती की व्यवस्था की गई है। इससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंध और भी मजबूत होंगे और नए आर्थिक अवसर सामने आएंगे।
Landed in London.
This visit will go a long way in advancing the economic partnership between our nations. The focus will be on furthering prosperity, growth and boosting job creation for our people.
A strong India-UK friendship is essential for global progress. pic.twitter.com/HWoXAE9dyp
— Narendra Modi (@narendramodi) July 23, 2025
भारतीय ग्राहकों को मिलेंगे बेहतरीन ब्रिटिश उत्पाद
इस समझौते से भारतीय उपभोक्ताओं को बहुत लाभ मिलेगा। उन्हें ब्रिटेन के उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद जैसे सॉफ्ट ड्रिंक, कॉस्मेटिक्स, कार और मेडिकल उपकरण सस्ते दामों पर उपलब्ध होंगे। आयात शुल्क 15 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत हो जाएगा जिससे ये उत्पाद पहले से सस्ते हो जाएंगे और आम लोगों की पहुंच में आ सकेंगे।
ब्रिटिश ग्राहकों के लिए सस्ते होंगे भारतीय सामान
ब्रिटेन सरकार के अनुसार भारतीय उत्पादों पर लगने वाले करों में छूट मिलने से वहां के उपभोक्ताओं और व्यवसायियों को भारतीय वस्तुएं सस्ते दामों में मिलेंगी। भारत से कपड़ों का आयात वर्तमान में 11 अरब पाउंड तक है जो अब और अधिक हो सकता है। इससे भारतीय कंपनियों के लिए ब्रिटेन में अपना निर्यात बढ़ाने का सुनहरा मौका मिलेगा।
ब्रिटेन के लिए बदलाव की दिशा में जीत
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीयर स्टारमर ने इस समझौते को ब्रिटेन के लिए बड़ी जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह व्यापार समझौता न केवल हजारों नई नौकरियों का सृजन करेगा बल्कि देशभर में व्यापार के नए रास्ते खोलेगा और हर कोने में आर्थिक विकास को तेज करेगा। यह उनके सरकार के “परिवर्तन के एजेंडे” का एक प्रमुख हिस्सा है जो ब्रिटेन को वैश्विक आर्थिक मंच पर मजबूती दिलाएगा।

