दो साल तक जारी रहने वाले गाजा युद्ध के बाद अब शांति की उम्मीदें बढ़ गई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पेश की गई शांति योजना के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर हमास ने सहमति जताई है। वहीं, इज़राइल ने भी स्पष्ट किया कि वह अब गाजा पर हमले नहीं करेगा और ट्रंप की योजना के पहले चरण को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन
इस स्थिति पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सराहना की है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “हम राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व का स्वागत करते हैं, जिन्होंने गाजा में शांति प्रयासों में निर्णायक प्रगति की है। बंधकों की रिहाई के संकेत एक महत्वपूर्ण कदम हैं। भारत लगातार स्थायी और न्यायपूर्ण शांति के सभी प्रयासों का समर्थन करेगा।”
We welcome President Trump’s leadership as peace efforts in Gaza make decisive progress. Indications of the release of hostages mark a significant step forward.
India will continue to strongly support all efforts towards a durable and just peace.@realDonaldTrump @POTUS
— Narendra Modi (@narendramodi) October 4, 2025
ट्रंप की शांति योजना और हमास का रुख
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा में दो साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति योजना पेश की थी। इस योजना के अनुसार, हमास ने बंधकों को रिहा करने और अन्य फिलिस्तीनियों को सत्ता सौंपने की तैयारी जताई है। हालांकि योजना के अन्य पहलुओं पर फिलिस्तीनियों के बीच अभी और चर्चा की आवश्यकता है। ट्रंप ने हमास के निर्णय का स्वागत करते हुए लिखा, “मुझे विश्वास है कि वे दीर्घकालीन शांति के लिए तैयार हैं।”
इज़राइल की तैयारियां
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि इज़राइल अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की योजना के पहले चरण को लागू करने की तैयारी कर रहा है। नेतन्याहू ने शनिवार को जारी बयान में कहा, “इज़राइल पूरी तरह ट्रंप के साथ सहयोग करेगा ताकि उनके सिद्धांतों के अनुसार युद्ध समाप्त किया जा सके।” उन्होंने यह भी कहा कि बंधकों की सुरक्षित और त्वरित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हमले तत्काल बंद करना अनिवार्य है।
शांति की राह पर उम्मीद
गाजा में शांति की दिशा में यह पहल एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। बंधकों की रिहाई और युद्धविराम की प्रक्रिया से क्षेत्र में स्थिरता आने की उम्मीद है। भारत सहित कई देश इस प्रक्रिया का समर्थन कर रहे हैं। अब देखना यह है कि योजना के अगले चरण कैसे लागू होते हैं और दोनों पक्ष स्थायी शांति के लिए किस तरह कदम उठाते हैं।

