GST Reforms: अगर आप ब्रांडेड कपड़ों के शौकीन हैं या खाने-पीने की चीज़ों पर खर्च करते हैं तो आपके लिए खुशखबरी है। जल्द ही इन चीज़ों पर बिल कम हो सकता है। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस पर फैसला लिया जा सकता है। प्रस्ताव है कि कपड़े और खाने-पीने की वस्तुओं को 5 प्रतिशत के स्लैब में लाया जाए।
जीएसटी ढांचे को सरल बनाने का प्रयास
टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार, सरकार टैक्स ढांचे को आसान बनाने के लिए कदम उठा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि आम उपभोक्ता पर वित्तीय दबाव कम हो। इसके तहत कपड़े, फूड आइटम्स, सैलून सेवाओं और अन्य रोज़मर्रा की वस्तुओं पर जीएसटी दरें घटाने का प्रस्ताव रखा गया है। सरकार की योजना है कि केवल दो मुख्य स्लैब रहेंगे – 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत। वहीं, हानिकारक या विलासिता वाली वस्तुओं पर 40 प्रतिशत जीएसटी दर लागू होगी।
जीएसटी काउंसिल की बैठक
जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 3 और 4 सितंबर 2025 को होने जा रही है। इसमें केन्द्रीय वित्त मंत्री के साथ सभी राज्यों के प्रतिनिधि सदस्य के रूप में शामिल होंगे। बैठक में यह तय किया जाएगा कि टैक्स स्लैबों में बदलाव के बाद राज्य सरकारों की आमदनी का नुकसान कैसे पूरा किया जाएगा। कुछ राज्यों का सुझाव है कि अधिकतम दर को 40 प्रतिशत से बढ़ाया जाए, लेकिन विशेषज्ञ इसे गलत संकेत मानते हैं। इस बदलाव के लिए कानूनी संशोधन भी आवश्यक होगा।
किन वस्तुओं पर कितनी दर
प्रस्तावित बदलाव के अनुसार, कई चीज़ों पर जीएसटी दर घट सकती है। उदाहरण के लिए:
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सीमेंट: वर्तमान में 28 प्रतिशत, घटाकर 18 प्रतिशत हो सकता है।
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सैलून और पार्लर सेवाएँ: 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत।
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एसी, टीवी, रेफ्रिजरेटर: 18 प्रतिशत स्लैब में लाया जा सकता है।
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हेल्थ इंश्योरेंस: वर्तमान 18 प्रतिशत, घटाकर शून्य किया जा सकता है।
इन बदलावों से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और रोज़मर्रा की चीज़ें सस्ती हो जाएंगी।

राज्य सरकारों की चिंता
हालांकि जीएसटी रिफॉर्म आम जनता के लिए लाभकारी है, लेकिन राज्य सरकारों को अपनी राजस्व चिंता सता रही है। जीएसटी दरें घटने पर राज्य सरकारों की आमदनी में कमी आएगी। इस बैठक में यह भी तय होगा कि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई कैसे की जाएगी। यह कदम सभी राज्यों और केंद्र के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए अहम माना जा रहा है।
आम जनता और बाजार पर असर
अगर प्रस्तावित बदलाव लागू होते हैं, तो ब्रांडेड कपड़ों और खाने-पीने की चीज़ों पर खरीदारी सस्ती हो जाएगी। इसके अलावा, सैलून और पार्लर सेवाओं की दर घटने से सेवा क्षेत्र में भी तेजी आ सकती है। घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स और एसी, टीवी, रेफ्रिजरेटर जैसी वस्तुएँ भी किफायती होंगी। हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी घटने से लोग सस्ती स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का लाभ ले पाएंगे।
जीएसटी रिफॉर्म का मुख्य उद्देश्य टैक्स ढांचे को सरल बनाना और आम जनता के लिए वित्तीय बोझ कम करना है। 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के स्लैबों में बदलाव से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और रोज़मर्रा की वस्तुओं की खरीदारी आसान होगी। राज्य और केंद्र सरकार की साझा जिम्मेदारी होगी कि इस बदलाव से होने वाले राजस्व नुकसान को संतुलित किया जाए। अगर जीएसटी काउंसिल की बैठक में यह फैसला पारित होता है तो अगले महीने से ही बाजार में इन बदलावों का असर दिखाई देने लगेगा।