22 सितंबर से नया GST दर लागू होने जा रहा है। इस बदलाव का शहरी परिवारों के मासिक बजट पर सीधा असर पड़ेगा। कुछ सामान और सेवाओं की कीमतें कम होंगी, जबकि अन्य पर खर्च बढ़ जाएगा। इसलिए यह जानना जरूरी है कि नया GST 2.0 आपके रोजमर्रा के खर्चों को कैसे प्रभावित करेगा।
5% स्लैब में अधिकतर खर्च
FICCI और Thought Arbitrage Research Institute की रिपोर्ट के अनुसार, शहरी परिवारों के कुल खर्च का 66% अब 0% या केवल 5% GST वाले सामान और सेवाओं पर होगा। वर्तमान में यह हिस्सा लगभग 50% है। 0% स्लैब में खर्च का हिस्सा 32.3% से बढ़कर 32.9% होगा। 5% स्लैब में खर्च का हिस्सा 18.2% से बढ़कर 33.3% हो जाएगा। वहीं 12% स्लैब को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है।

रोजमर्रा की सेवाओं पर राहत
सबसे बड़ा फायदा रोजमर्रा की सेवाओं पर मिलेगा। अब सैलून, स्पा, जिम और योग जैसी सेवाओं पर केवल 5% GST लगेगा, जो पहले 18% था। उदाहरण के लिए, यदि किसी का सैलून बिल ₹2,000 का है, तो अब उसे ₹100 टैक्स देना होगा, जबकि पहले यह ₹360 था। हालांकि, व्यवसाय इन सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
आवश्यक सामान पर टैक्स में कटौती
साबुन, शैम्पू, शेविंग क्रीम, टूथपेस्ट, टूथब्रश, डेंटल फ्लॉस और फेस पाउडर जैसी आवश्यक चीजें अब 5% टैक्स स्लैब में शामिल होंगी। प्रिस्क्रिप्शन वाली चश्मे पर भी टैक्स घटाकर केवल 5% कर दिया गया है। साइकिल और इसके पुर्जों पर भी 12% के बजाय 5% GST लगेगा। हालांकि माउथवॉश अभी इस बदलाव में शामिल नहीं है।
ऑनलाइन फूड डिलीवरी महंगी होगी
जो लोग अक्सर ऑनलाइन फूड ऑर्डर करते हैं, उनके खर्च में बढ़ोतरी होगी। 22 सितंबर से Zomato, Swiggy और Magicpin जैसी ऐप्स पर डिलीवरी चार्ज पर 18% GST लगेगा। इससे हर ऑर्डर पर ₹2 से ₹2.6 का अतिरिक्त खर्च आएगा। त्योहारों के सीजन में यह प्रभाव और स्पष्ट होगा।
नया GST 2.0: बचत और चुनौतियां
नए GST नियम शहरी परिवारों को व्यक्तिगत देखभाल और आवश्यक सामान पर बचत करने में मदद करेंगे। सैलून, जिम और योग जैसी सेवाओं पर भी राहत मिलेगी। लेकिन जो लोग अक्सर ऑनलाइन फूड ऑर्डर करते हैं, उन्हें अब डिलीवरी पर अधिक खर्च करना होगा। कुल मिलाकर, नए GST दर शहरी परिवारों के खर्च के पैटर्न को बदलने वाले हैं।

