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Saturday, November 15, 2025
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Gold: सोने का ग्लिटर नहीं, बल्कि दुनिया की अर्थव्यवस्था की रीढ़! जानिए कौनसा देश है सबसे बड़ा गोल्ड होल्डर

Gold: सोना केवल आभूषणों की चमक नहीं है, बल्कि यह विश्व की अर्थव्यवस्थाओं की मजबूत रीढ़ भी है। सदियों से सोने को धन और शक्ति का प्रतीक माना गया है। डिजिटल पेमेंट और क्रिप्टोकरेंसी के युग में भी सोने का महत्व कम नहीं हुआ है। यह सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि का प्रतीक बना हुआ है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, विश्व के आठ देश सबसे अधिक आधिकारिक सोने के भंडार रखते हैं। आइए जानते हैं कि इनमें सबसे ऊपर कौन है और भारत की स्थिति कहाँ है।

शीर्ष सोने के भंडार वाले देशों की स्थिति

विश्व में सबसे अधिक सोने के भंडार के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका पहले स्थान पर है। 2025 की दूसरी तिमाही में अमेरिका के पास 8,133.46 टन सोना है। यह स्तर कई वर्षों से स्थिर बना हुआ है। इसके बाद जर्मनी दूसरे स्थान पर है, जिसके सोने का भंडार 3,350.25 टन है। हालांकि यह पिछले 25 वर्षों में सबसे कम स्तर है, फिर भी जर्मनी विश्व में सोने का दूसरा सबसे बड़ा भंडार रखने वाला देश बना हुआ है। तीसरे स्थान पर इटली है, जिसकी स्थिति लंबे समय से स्थिर रही है और इसके पास लगभग 2,451.84 टन सोना है।

फ्रांस चौथे स्थान पर है, जिसके पास 2,437 टन सोने का भंडार है। यह आंकड़ा पहले 3,000 टन से अधिक था। रूस पांचवें स्थान पर है और इसके पास 2,329.63 टन सोना है। वर्ष 2000 में रूस के पास केवल 343 टन सोना था, लेकिन 2024 तक यह रिकॉर्ड 2,335 टन तक पहुँचने की संभावना है। चीन छठे स्थान पर है, जिसके पास 2,279.6 टन सोने के भंडार हैं। यह उसके कुल विदेशी संपत्तियों का एक छोटा हिस्सा है, लेकिन निरंतर बढ़ रहा है।

स्विट्ज़रलैंड और भारत की स्थिति

सातवें स्थान पर स्विट्ज़रलैंड है, जिसके पास 1,040 टन सोने का भंडार है। स्विट्ज़रलैंड की वित्तीय पहचान में इसका यह भंडार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आठवें स्थान पर भारत है, जिसने 2025 की दूसरी तिमाही में अपने सोने के भंडार को 880 टन तक बढ़ा लिया है, जो अब तक का सबसे ऊँचा स्तर है। 2001 में भारत के पास केवल 357 टन सोना था। इसका मतलब है कि पिछले दो दशकों में भारत के सोने का भंडार लगभग दोगुना हो गया है।

भारत की सोने की यह बढ़ती स्थिति आर्थिक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता को भी मजबूत करती है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस भंडार में वृद्धि की लगातार निगरानी और रणनीतिक निवेश इसे विश्व स्तर पर और अधिक प्रभावशाली बनाता है। यह संकेत देता है कि आने वाले वर्षों में भारत का “सोने का दमक” और बढ़ेगा और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में उसकी स्थिति मजबूत होगी।

सोने का महत्व और भारत की बढ़ती भूमिका

सोना सिर्फ संपत्ति का स्रोत नहीं है, बल्कि यह आर्थिक स्थिरता, वैश्विक वित्तीय सुरक्षा और निवेशकों के विश्वास का प्रतीक है। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों के सोने के भंडार अब भी शीर्ष पर हैं, लेकिन भारत की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है। यह न केवल देश के वित्तीय आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही गति जारी रही, तो भारत आने वाले वर्षों में सोने के भंडार के मामले में विश्व में और ऊँचा स्थान हासिल कर सकता है।

सोने का यह बढ़ता महत्व न केवल निवेशकों के लिए लाभकारी है, बल्कि यह देश की आर्थिक सुरक्षा और विश्व स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को भी बढ़ाता है। इसलिए, भारत के सोने के भंडार में वृद्धि और उसकी वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान आने वाले समय में और अधिक महत्वपूर्ण साबित होगा।

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