ED: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जम्मू-कश्मीर में कस्टोडियन भूमि हड़पने और धोखाधड़ी के मामले में तलाशी अभियान चलाकर बड़े पैमाने पर जांच शुरू की है। यह कार्रवाई 22 अगस्त 2025 को जम्मू और उधमपुर के विभिन्न स्थानों पर की गई। ईडी ने इस अभियान को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत अंजाम दिया। तलाशी अभियान का मकसद जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल कुछ पटवारियों, तहसीलदारों, बिचौलियों और निजी व्यक्तियों के खिलाफ सबूत इकट्ठा करना था। आरोप है कि ये लोग कस्टोडियन भूमि पर अवैध कब्जा कर रहे थे।
क्या है कस्टोडियन भूमि
कस्टोडियन भूमि वे जमीनें हैं, जो 1947 के बाद पाकिस्तान चले गए लोगों द्वारा छोड़ी गई थीं। ये भूमि सरकारी संरक्षक (कस्टोडियन) के पास रखी जाती है ताकि उनका संरक्षण और उचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। जम्मू-कश्मीर में करीब 502.5 कनाल कस्टोडियन भूमि को लेकर इस मामले में धोखाधड़ी सामने आई है। आरोप है कि जमीन पर अवैध कब्जा कर इसे निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया।

सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत
जांच के दौरान ईडी को पता चला कि इस धोखाधड़ी में सिर्फ निजी लोग ही नहीं बल्कि सरकारी अधिकारी भी शामिल थे। राजस्व विभाग के तहसीलदार और पटवारी इस मामले में सीधे तौर पर लिप्त पाए गए। अधिकारियों ने जानबूझकर उन भूमि पर कब्जा करने की अनुमति दी, जिनके मालिक पाकिस्तान जा चुके थे। इसके लिए निजी लोगों और भूमि हड़पने वालों से संपर्क किया गया और मिलकर काम किया गया। कुछ बिचौलियों ने भी इस घोटाले में मदद की, जिससे जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया।
भूमि का मूल्य और अवैध कब्जे की प्रक्रिया
धोखाधड़ी से हड़पी गई जमीन का मूल्य लगभग 20 करोड़ रुपये आंका गया है। आरोपी व्यक्तियों ने 2022 से जाली म्यूटेशन रिकॉर्ड, फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी, बिक्री विलेख और आधिकारिक राजस्व अभिलेखों में झूठी प्रविष्टियाँ बनाकर अवैध कब्जा किया। इसके बाद इस जमीन को जाली दस्तावेजों के माध्यम से बेचा गया और बिक्री से प्राप्त राशि को विभिन्न खातों में स्थानांतरित कर निजी उपयोग के लिए खर्च किया गया।
तलाशी अभियान में ईडी ने संपत्ति, राजस्व रिकॉर्ड और डिजिटल साक्ष्य से संबंधित कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए। इन दस्तावेजों में जमीन पर किए गए कब्जे, बिक्री और लेन-देन के सबूत शामिल हैं।
ईडी की जांच का दायरा
ईडी ने एसीबी और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर यह जांच शुरू की थी। जांच एजेंसी ने पाया कि इस मामले में सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के कारण जमीन पर अवैध कब्जा संभव हो पाया। अब ईडी इस मामले में सभी आरोपियों से पूछताछ कर रही है और उनके खातों, दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों की विस्तृत जांच कर रही है।
जांच में यह भी सामने आया है कि जम्मू और आसपास के क्षेत्रों में ऐसी कई और भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है, जिससे इलाके में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की बड़ी तस्वीर सामने आती है। ईडी की कार्रवाई का उद्देश्य केवल अवैध कब्जा हटाना ही नहीं बल्कि भ्रष्ट अधिकारियों और सहयोगियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना भी है।
जम्मू-कश्मीर में 502.5 कनाल कस्टोडियन भूमि हड़पने का मामला प्रशासनिक और कानूनी दृष्टि से गंभीर है। सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत और निजी व्यक्तियों द्वारा किए गए धोखाधड़ी के इस मामले ने साफ कर दिया है कि कस्टोडियन भूमि पर निगरानी की गंभीर आवश्यकता है। ईडी की जांच और तलाशी अभियान इस घोटाले की पूरी तह तक जाकर दोषियों को कानूनी तौर पर सजा दिलाने में मदद करेंगे।