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Wednesday, October 29, 2025
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Delhi Cloud Seeding Updates: दिल्ली में क्यों फेल हुई कृत्रिम बारिश की कोशिश? IIT कानपुर डायरेक्टर ने बताई असली वजह

Delhi Cloud Seeding Updates: दिल्ली में मंगलवार को कृत्रिम बारिश यानी क्लाउड सीडिंग का प्रयास किया गया लेकिन यह कोशिश नाकाम रही। इसका कारण था हवा में बेहद कम नमी। वैज्ञानिकों का कहना है कि क्लाउड सीडिंग तभी सफल हो सकती है जब वातावरण में कम से कम 50 प्रतिशत नमी हो जबकि दिल्ली में उस समय केवल 20 प्रतिशत नमी थी। इसी वजह से बारिश की बूंदें बनने से पहले ही वाष्पित हो गईं और धरती तक नहीं पहुंच सकीं।

आईआईटी कानपुर की टीम मैदान में उतरी

आईआईटी कानपुर की टीम ने इस प्रयोग को अंजाम देने के लिए एक विशेष विमान तैयार किया था। इस विमान में सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड जैसे रसायनों को छिड़कने के लिए उपकरण लगाए गए थे। यह विमान कानपुर से दिल्ली लाया गया और उसने बुराड़ी, करोल बाग और मयूर विहार के ऊपर से उड़ान भरते हुए आठ बार रासायनिक छिड़काव किया। हर बार करीब दो से ढाई किलो रसायन का उपयोग किया गया लेकिन नमी की कमी के चलते बादल बनने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी।

Delhi Cloud Seeding Updates: दिल्ली में क्यों फेल हुई कृत्रिम बारिश की कोशिश? IIT कानपुर डायरेक्टर ने बताई असली वजह

दिल्ली सरकार की पहल

यह प्रयोग दिल्ली सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है जो राजधानी में बढ़ते प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए बनाई गई है। राजधानी में हर साल सर्दियों के दौरान वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है। इसी को देखते हुए पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि अगर अगले ट्रायल सफल रहे तो फरवरी तक एक बड़ा प्लान तैयार किया जाएगा ताकि जरूरत पड़ने पर कृत्रिम बारिश से धूल और प्रदूषण को कम किया जा सके।

क्लाउड सीडिंग क्या है

क्लाउड सीडिंग कोई नई तकनीक नहीं है बल्कि इसका इस्तेमाल दुनिया भर में पिछले 80 वर्षों से किया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने प्रयोगशालाओं में बादल बनने की प्रक्रिया को समझते हुए यह तरीका खोजा था कि कैसे बादलों में मौजूद नमी को रासायनिक पदार्थों के माध्यम से वर्षा में बदला जा सकता है। इसमें आम तौर पर सिल्वर आयोडाइड या नमक के कणों को बादलों में छोड़ा जाता है ताकि पानी की बूंदें आपस में मिलकर बारिश बन सकें।

आगे की राह और उम्मीदें

हालांकि यह प्रयोग मंगलवार को पूरी तरह सफल नहीं रहा लेकिन वैज्ञानिक इसे असफलता नहीं मान रहे। उनका कहना है कि जब नमी का स्तर बढ़ेगा तब यह प्रक्रिया बेहतर परिणाम दे सकती है। बुधवार को दोबारा प्रयास किए जाने की तैयारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कोई स्थायी समाधान नहीं बल्कि एक आपातकालीन उपाय है जो प्रदूषण के स्तर को अस्थायी तौर पर कम कर सकता है।

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