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Saturday, August 23, 2025
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Shashi Tharoor के खिलाफ मानहानि मामला टला, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भावनाएं नहीं, कानून की बात करो!

कांग्रेस सांसद Shashi Tharoor के खिलाफ ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ वाली टिप्पणी को लेकर दर्ज मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर लगी रोक को आगे बढ़ा दिया है। इस मामले में शिकायतकर्ता भाजपा नेता राजीव बब्बर की ओर से पेश वकील ने जल्द सुनवाई की मांग की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सवाल करते हुए कहा, “आप इतने भावुक क्यों हो रहे हैं?” न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने थरूर के वकील के अनुरोध पर सुनवाई टालते हुए 15 सितंबर को अगली तारीख तय की है।

सुप्रीम कोर्ट का रुख और शिकायतकर्ता के वकील से सवाल

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि इस तरह के मामलों को बंद कर देना चाहिए और वकील की भावुकता पर आश्चर्य जताया। कोर्ट ने कहा, “क्या खास कार्यवाही दिन? इसे बंद ही कर देते हैं।” सुप्रीम कोर्ट का यह बयान तब आया जब भाजपा नेता की ओर से पेश वकील ने मुख्य कार्यवाही के दिन पर ही सुनवाई की मांग की। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 अगस्त, 2024 को थरूर की याचिका खारिज करते हुए उन्हें 10 सितंबर को ट्रायल कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था, जिसके खिलाफ थरूर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

Shashi Tharoor के खिलाफ मानहानि मामला टला, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भावनाएं नहीं, कानून की बात करो!

थरूर की दलीलें: ‘सद्भावना’ और पुराने लेख का हवाला

Shashi Tharoor की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि शिकायतकर्ता या राजनीतिक दल के सदस्य इस मामले में ‘पीड़ित पक्ष’ नहीं कहे जा सकते। उन्होंने यह भी कहा कि थरूर की टिप्पणी ‘सद्भावना’ के अंतर्गत आती है और इसे आपराधिक मानहानि नहीं कहा जा सकता। वकील ने बताया कि थरूर ने 2018 में कारवां पत्रिका में छपे एक लेख का ही हवाला दिया था, जिसमें कथित तौर पर एक अज्ञात आरएसएस नेता ने मोदी की तुलना ‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’ से की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए पहले भी कहा था कि यह केवल एक रूपक (metaphor) है और इससे किसी की छवि को नुकसान नहीं होता।

दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी और धार्मिक भावनाएं

हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने थरूर की दलीलों को खारिज करते हुए टिप्पणी की थी कि ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ जैसी उपमा न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि यह प्रधानमंत्री, भाजपा और उसके कार्यकर्ताओं की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाती है। कोर्ट ने इसे ‘घृणित और निंदनीय’ बताया था और माना कि इस टिप्पणी से धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। हाईकोर्ट ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि की सज़ा) के तहत थरूर के खिलाफ समुचित आधार है कि उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष तलब किया जाए। सुप्रीम कोर्ट अब 15 सितंबर को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा।

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