Uttarakhand Panchayat Elections: हाल ही में संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में उत्तराखंड की जनता ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी पर भरोसा जताया है। राज्य के विभिन्न जिलों में जिला पंचायत की कुल 358 सीटों में से 200 से अधिक सीटों पर बीजेपी समर्थित उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। इसके अलावा 83 कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों को भी सफलता मिली है।
निर्दलीयों ने भी पकड़ी बीजेपी की राह
चुनाव में कई निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी शानदार जीत दर्ज की है। खास बात यह रही कि इनमें से अधिकतर विजयी प्रत्याशियों ने चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी है। इससे साफ है कि पंचायत चुनाव में बीजेपी का प्रभाव अब भी बरकरार है और पार्टी के प्रति जनता का झुकाव गहरा होता जा रहा है।
बीजेपी नेताओं के रिश्तेदारों को झटका
हालांकि इस शानदार जीत के बीच बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के रिश्तेदारों को हार का सामना करना पड़ा। लैंसडाउन से विधायक दिलीप रावत की पत्नी नीतू देवी को 411 वोटों से हार मिली। अल्मोड़ा जिले में विधायक महेश जीना के बेटे करन जीना और नैनीताल से विधायक सरिता आर्या के बेटे मोहित आर्या को भी पराजय का सामना करना पड़ा।
पूर्व मंत्री की पत्नी भी हारी चुनाव
चमोली जिले के रैनों वार्ड से चुनाव लड़ रहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी की पत्नी और निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को भी हार झेलनी पड़ी। यह स्पष्ट करता है कि जनता ने सिर्फ चेहरे या राजनीतिक कनेक्शन नहीं बल्कि काम के आधार पर अपना प्रतिनिधि चुना।
बीजेपी का परिवारवाद से इनकार
जब इन नेताओं के परिजनों की हार पर सवाल उठा तो बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष चौहान ने साफ कहा कि पार्टी परिवारवाद में विश्वास नहीं करती। उन्होंने बताया कि पार्टी ने किसी भी रिश्तेदार को पार्टी का आधिकारिक समर्थन नहीं दिया था और सभी प्रत्याशी अपनी व्यक्तिगत पहचान पर मैदान में थे।
जीत के पीछे सीएम धामी की नीतियां
बीजेपी की इस जीत के पीछे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की लोकप्रिय योजनाओं को प्रमुख कारण माना जा रहा है। इनमें एक लाख से अधिक युवाओं को रोजगार देने की पहल, पर्वतीय क्षेत्रों में होमस्टे योजना और महिला सशक्तिकरण प्रमुख हैं। साथ ही, चारधाम यात्रा की सफल व्यवस्था और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति ने भी जनता को प्रभावित किया है।