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Saturday, November 15, 2025
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बंगाल में SIR पर संग्राम, ममता बनर्जी के खिलाफ BJP का मोर्चा, फर्जी दस्तावेज़ों पर बवाल बढ़ा

पश्चिम बंगाल में आज यानी 4 नवंबर 2025 को विशेष चुनाव निरीक्षण (SIR) लागू किया गया है। लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक तूफान मच गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुले तौर पर SIR का विरोध किया है। उन्होंने इसे केंद्र सरकार की साजिश बताया है। वहीं तृणमूल कांग्रेस ने आज राज्यभर में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। कई जिलों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पें भी हुई हैं।

 बीजेपी ने उठाई सुरक्षा और पारदर्शिता की मांग

दूसरी ओर, बीजेपी ने चुनाव आयोग से अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की मांग की है। पार्टी का कहना है कि ममता सरकार द्वारा जारी किए गए कई दस्तावेज फर्जी हैं। बीजेपी ने चुनाव आयोग को दिए ज्ञापन में कहा है कि मतदाता सूची संशोधन में बड़े पैमाने पर फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया जा रहा है। पार्टी ने जन्म प्रमाणपत्र, निवास प्रमाणपत्र और जाति प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेजों की गहन जांच की मांग की है।

बंगाल में SIR पर संग्राम, ममता बनर्जी के खिलाफ BJP का मोर्चा, फर्जी दस्तावेज़ों पर बवाल बढ़ा

भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से की मुलाकात

सोमवार शाम को पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य, सांसद बिप्लब देव और भाजपा आईटी प्रमुख अमित मालवीय ने चुनाव आयोग से मुलाकात की। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार ने अपने ‘दुआरे सरकार’ शिविरों के ज़रिए बिना जांच के प्रमाणपत्र जारी किए हैं। बीजेपी का कहना है कि 2020 के बाद से ऐसे फर्जी प्रमाणपत्रों की संख्या तेजी से बढ़ी है जिनका इस्तेमाल नागरिकता और निवास साबित करने के लिए किया जा रहा है।

दस्तावेजों की गहन जांच की सिफारिश

बीजेपी ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि 24 जून के बाद जारी किए गए जन्म प्रमाणपत्र स्वीकार न किए जाएं। यदि किसी मामले में जरूरी हो तो बूथ स्तर पर जांच की जाए। पार्टी ने यह भी कहा कि केवल ग्रुप-ए अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित स्थायी निवास प्रमाणपत्रों को ही मान्यता दी जाए। वहीं वनाधिकार प्रमाणपत्र केवल 2 अप्रैल से पहले जारी किए गए ही स्वीकार हों क्योंकि इसी दिन राज्य सरकार ने नया वन सचिव नियुक्त किया था।

अदालत में लंबित है जाति प्रमाणपत्र विवाद

बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार ने दुआरे सरकार शिविरों के ज़रिए जाति प्रमाणपत्रों का मनमाना वितरण किया है। इनमें बड़ी संख्या मुस्लिम समुदाय से जुड़ी है जिन्हें अवैध प्रवासी बताया जा रहा है। हाई कोर्ट पहले ही ओबीसी-ए श्रेणी को अवैध घोषित कर चुका है और मामला अभी अदालत में लंबित है। ऐसे में बीजेपी ने आयोग से इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी और सख्त जांच की मांग की है ताकि मतदाता सूची की पवित्रता बनी रहे।

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