Adani Group के लिए एक बार फिर राहत भरी खबर सामने आई है। भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपों में प्राणव अडानी और अन्य अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी है। प्राणव अडानी अडानी समूह की कई कंपनियों में निदेशक हैं और उद्योगपति गौतम अडानी के भतीजे हैं। शुक्रवार को आए इस फैसले के बाद अडानी समूह पर लगे एक और गंभीर आरोप से पर्दा उठ गया है। इससे पहले भी सेबी ने अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए संबंधित पार्टी लेनदेन नियमों के उल्लंघन के आरोपों में अडानी समूह को राहत दी थी।
प्राणव अडानी पर क्या थे आरोप
सेबी ने 12 दिसंबर को अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड से जुड़े एक मामले में इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपों को समाप्त कर दिया। यह मामला वर्ष 2021 में अडानी ग्रीन द्वारा एसबी एनर्जी के अधिग्रहण से जुड़ा था। आरोप लगाया गया था कि प्राणव अडानी ने इस सौदे से जुड़ी गोपनीय जानकारी सार्वजनिक होने से पहले कुछ लोगों को दी थी। इस जानकारी के आधार पर बाहरी लोगों ने अडानी ग्रीन के शेयरों में ट्रेडिंग की और मुनाफा कमाया। इसी आशंका के चलते सेबी इस पूरे मामले की जांच कर रहा था।

एसबी एनर्जी डील और शेयर बाजार की प्रतिक्रिया
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार मई 2021 में अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने सॉफ्टबैंक ग्रुप कैपिटल लिमिटेड और भारती ग्लोबल लिमिटेड के साथ शेयर खरीद समझौते किए थे। इन समझौतों के जरिए कंपनी ने एसबी एनर्जी होल्डिंग्स लिमिटेड में उनकी हिस्सेदारी खरीदी थी। इस घोषणा के बाद अडानी ग्रीन के शेयरों में तेज उछाल देखने को मिला। 18 मई 2021 को शेयर का भाव 1198.75 रुपये था जो अगले ही दिन बढ़कर 1243.65 रुपये पर पहुंच गया। एक ही दिन में करीब 3.75 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। सेबी ने माना कि इस सौदे से कंपनी की परिचालन क्षमता में 46 प्रतिशत और कुल क्षमता में 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
किसे हुआ कथित लाभ
सेबी की जांच के दौरान यह आशंका जताई गई थी कि प्राणव अडानी ने यह संवेदनशील जानकारी अपने बहनोई कुणाल शाह के साथ साझा की थी। कुणाल शाह अपने अलावा अपने भाई और नृपाल शाह के ट्रेडिंग खातों का संचालन करते थे। आरोप था कि इन लोगों ने मई 2021 में करीब 1100 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर अडानी ग्रीन के एक लाख से ज्यादा शेयर खरीदे। बाद में इन शेयरों को ऊंची कीमत पर बेच दिया गया जिससे उन्हें संयुक्त रूप से 90 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा हुआ। हालांकि सेबी को इस मामले में इनसाइडर ट्रेडिंग के ठोस सबूत नहीं मिले।
सेबी का फैसला और आगे का असर
पूरी जांच के बाद सेबी इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि प्राणव अडानी या अन्य अधिकारियों द्वारा इनसाइडर ट्रेडिंग का आरोप साबित नहीं होता। इसके साथ ही सभी आरोपों को समाप्त कर दिया गया। यह फैसला अडानी समूह के लिए न सिर्फ कानूनी बल्कि बाजार की साख के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। लगातार मिल रही नियामकीय राहत से यह संकेत मिलता है कि अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए कई आरोप जांच में टिक नहीं पाए हैं। आने वाले समय में इस फैसले का असर निवेशकों के भरोसे और समूह की कारोबारी गतिविधियों पर भी दिखाई दे सकता है।

