इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजार की दिशा अमेरिकी और चीनी टैरिफ युद्ध के नये तनाव, घरेलू महंगाई डेटा और प्रमुख कंपनियों के त्रैमासिक नतीजों पर निर्भर करेगी। Enrich Money के सीईओ पोनमुदी आर. के अनुसार, “बाजार की दिशा घरेलू संकेतकों, वैश्विक आर्थिक रुझानों और कंपनियों के त्रैमासिक नतीजों पर आधारित होगी।” अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव से वैश्विक निवेश जोखिम कम हो सकता है।
जोखिम लेने की प्रवृत्ति में कमी
पोनमुदी ने कहा कि अमेरिका और चीन के टैरिफ युद्ध के तेज होने से वैश्विक बाजार में जोखिम लेने की प्रवृत्ति कमजोर होगी। शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट में भारी बिकवाली देखी गई। नास्डैक कंपोजिट 3.56 प्रतिशत, S&P 500 2.71 प्रतिशत और डॉव जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज 1.90 प्रतिशत गिरा। यह दबाव उभरते बाजारों और मुद्राओं पर भी दिख सकता है

घरेलू महंगाई और कंपनियों के नतीजे
Religare Broking के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अजीत मिश्रा ने कहा कि इस सप्ताह घरेलू मैक्रोइकोनॉमिक डेटा और FY2025-26 की दूसरी तिमाही के नतीजे सामने आएंगे। अक्टूबर 13 को सितंबर महीने की खुदरा महंगाई (CPI) और 14 अक्टूबर को थोक महंगाई (WPI) का डेटा जारी होगा। निवेशकों की नजर प्रमुख आईटी कंपनियों Infosys, HCL Tech, Wipro, Tech Mahindra, LTIMindtree और बैंकिंग व रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियों के नतीजों पर होगी।
वैश्विक रुझानों और फेडरल रिजर्व की भूमिका
Swastika Investmart के रिसर्च हेड संतोष मीना के अनुसार, “इस सप्ताह का माहौल महत्वपूर्ण होगा क्योंकि अमेरिकी बाजारों में तेज गिरावट के बाद वैश्विक निवेशक सतर्क हो गए हैं।” अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल 14 अक्टूबर को भाषण देंगे। उनके बयान से डॉलर और वैश्विक निवेश धाराओं पर असर पड़ सकता है, जिससे भारतीय शेयर बाजार भी प्रभावित हो सकता है।
पिछले हफ्ते की बाजार धाराएं और निवेशकों की उम्मीदें
पिछले हफ्ते BSE सेंसेक्स 1,293.65 अंक (1.59 प्रतिशत) और NSE निफ्टी 391.1 अंक (1.57 प्रतिशत) बढ़ा। इस सप्ताह निवेशक वैश्विक और घरेलू आर्थिक संकेतकों के साथ-साथ प्रमुख कंपनियों के नतीजों और जेरोम पॉवेल के भाषण पर ध्यान केंद्रित करेंगे। यह सप्ताह बाजार की दिशा तय करने में निर्णायक साबित हो सकता है।

