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Sunday, November 2, 2025
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गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री रवि नाइक का निधन, 79 साल में हार्ट अटैक से अचानक मौत, पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित की

गोवा के कृषि मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री रवि नाइक का देर रात हृदय गति रुकने से निधन हो गया। परिवार के सूत्रों के अनुसार, 79 वर्षीय नाइक को उनके पैतृक गांव पोंडा में दिल का दौरा पड़ा। उन्हें पोंडा के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां रात लगभग 1 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके निधन की खबर से गोवा में शोक की लहर दौड़ गई।

अंतिम संस्कार और परिवार का दुख

रवि नाइक का अंतिम संस्कार बुधवार को दोपहर 3 बजे होगा। उनका पारिवारिक जीवन काफी मजबूत था। परिवार में उनकी पत्नी, दो बच्चे, एक बहू और तीन पोते-पोतियाँ शामिल हैं। नाइक का शव उनके पोंडा स्थित निवास खरपाबंध लाया गया, जहां हजारों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित हुए। राजनीतिक और आम जनता ने उनके योगदान को याद करते हुए शोक व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री मोदी और गोवा सीएम ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रवि नाइक के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की। पीएम मोदी ने कहा कि नाइक एक अनुभवी प्रशासक और समर्पित जनसेवक थे, जिन्होंने गोवा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी नाइक की नेतृत्व क्षमता, विनम्रता और जनकल्याण के कार्यों की सराहना की। सावंत ने कहा कि उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा और उन्होंने परिवार एवं समर्थकों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

राजनीतिक जीवन और उपलब्धियां

रवि नाइक सात बार विधायक रहे, जिनमें छह बार पोंडा और एक बार मार्काइम विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की। उन्होंने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, कांग्रेस और भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। 1984 में उन्होंने पोंडा से विधायक के रूप में राजनीतिक यात्रा शुरू की। नाइक दो बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने जनवरी 1991 से मई 1993 तक प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार का नेतृत्व किया। 1994 में केवल छह दिन के लिए गोवा के सबसे कम समय तक मुख्यमंत्री बने। इसके अलावा वे 1998 में उत्तर गोवा से सांसद भी रहे।

जनप्रिय नेता और समाजसेवी रवि नाइक

रवि नाइक की राजनीति में छवि एक जनप्रिय और सुलझे हुए नेता की रही। वे विशेष रूप से पिछड़े और वंचित वर्ग के सशक्तिकरण के लिए समर्पित थे। उनके नेतृत्व, विनम्रता और जनता के प्रति समर्पण को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके निधन से गोवा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण शून्यता उत्पन्न हुई है और उनके समर्थक तथा जनता शोक में डूब गए हैं।

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