भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) रविवार को अपने अब तक के सबसे भारी संचार उपग्रह CMS-03 को अंतरिक्ष में लॉन्च करने जा रहा है। करीब 4,410 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह भारत से अब तक जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में भेजा जाने वाला सबसे भारी सैटेलाइट होगा। इसे इसरो के सबसे शक्तिशाली रॉकेट LVM3-M5 से लॉन्च किया जाएगा, जिसे उसकी अद्भुत क्षमता के कारण “बाहुबली रॉकेट” कहा जाता है। इसरो ने बताया कि इस मिशन की काउंटडाउन शुरू हो चुकी है, और सभी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं।
बाहुबली रॉकेट से होगा लॉन्च, शाम 5:26 बजे उड़ान भरेगा मिशन
बेंगलुरु स्थित इसरो ने बताया कि लॉन्च व्हीकल पूरी तरह असेंबल और इंटीग्रेट कर दिया गया है। रॉकेट को प्री-लॉन्च ऑपरेशनों के लिए लॉन्च पैड पर स्थानांतरित कर दिया गया है। यह 43.5 मीटर ऊँचा रॉकेट, जो 4,000 किलोग्राम तक का भार अंतरिक्ष में ले जा सकता है, रविवार शाम 5 बजकर 26 मिनट पर उड़ान भरेगा। इसरो के अनुसार, LVM3 (Launch Vehicle Mark-3) संगठन का नया हेवी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है, जो भारी संचार उपग्रहों को कम लागत में GTO कक्षा में स्थापित करने की क्षमता रखता है। इसरो का कहना है कि यह लॉन्च भारत की अंतरिक्ष तकनीक को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।
Launch Day for #LVM3M5. India’s heavy-lift rocket launches #CMS03 today at 17:26 IST.
Youtube URL: https://t.co/gFKB0A1GJE
🗓️ 2 Nov 2025 (Sunday)
🕔 4:56 PM IST onwardsFor more Information Visithttps://t.co/yfpU5OTEc5 pic.twitter.com/NB46ZT1Pwb
— ISRO (@isro) November 2, 2025
तीन चरणों में होगा प्रक्षेपण, आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम
यह रॉकेट तीन चरणों में प्रक्षेपित किया जाएगा। इसमें दो सॉलिड मोटर स्ट्रैप-ऑन (S200), एक लिक्विड प्रोपेलेंट कोर स्टेज (L110) और एक क्रायोजेनिक स्टेज (C25) शामिल है। इसरो वैज्ञानिकों ने बताया कि यह प्रणाली संगठन को भारी संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण में पूरी आत्मनिर्भरता प्रदान करती है। हालांकि कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि CMS-03 का उपयोग सैन्य निगरानी के लिए भी किया जा सकता है, लेकिन इसरो की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। इस रॉकेट को GSLV Mk-III के नाम से भी जाना जाता है और यह इसरो की अब तक की सबसे शक्तिशाली तकनीकी उपलब्धि मानी जा रही है।
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद बाहुबली का अगला मिशन
इसरो ने बताया कि यह LVM3-M5 की पाँचवीं ऑपरेशनल फ्लाइट होगी। इससे पहले इसी रॉकेट ने चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जिससे भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना। इससे पहले 2018 में इसरो ने अपना सबसे भारी उपग्रह GSAT-11 (5,854 किलोग्राम) फ्रेंच गयाना से एरियन-5 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया था। रविवार का यह मिशन भारत की संचार सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। CMS-03 उपग्रह भारत और आसपास के समुद्री क्षेत्रों में मल्टी-बैंड संचार सेवाएँ उपलब्ध कराएगा। “बाहुबली” रॉकेट की क्रायोजेनिक शक्ति इसे 4,000 किलोग्राम तक GTO और 8,000 किलोग्राम तक लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में पेलोड भेजने की क्षमता देती है। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमता को वैश्विक स्तर पर और सशक्त बनाएगा।

